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लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस

फॉर्म हाउस  भाग 2

लीना जब अपने फॉर्म हाउस पहुंची तो उस समय सुबह के साढ़े पांच बज चुके थे । उस समय बहुत जोरों की बरसात हो रही थी । लीना टैक्सी के अंदर ही बैठी रही क्योंकि वीरेन्द्र गेट पर ही खड़ा मिल गया था । लीना को देखकर वह जोर जोर से रोने लगा था । उसका रो रोकर पहले ही बुरा हाल हो गया था जो उसके चेहरे से बयां हो रहा था ।  उसे रोते देखकर लीना की आंखें भी भर आईं थीं । वह रोते रोते बोली "साहब कहां हैं" ?  वीरेन्द्र के मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे इसलिए उसने हाथ के इशारे से बता दिया कि साहब फॉर्म हाउस के अंदर हैं । लीना उस दिशा में दौड़ पड़ी । उसने बरसात की भी परवाह नहीं की थी । वीरेन्द्र उसके आगे आगे हो लिया । लीना के आने से वीरेन्द्र में जैसे जान आ गई थी ।

वीरेन्द्र उसे फॉर्म हाउस में बने एक कमरे में ले गया जहां राज बिस्तर पर लेटा हुआ था । उसकी आंखें खुली हुई थी जो छत को घूरे जा रही थी । उसका मुंह भी खुला हुआ था । शरीर एक चादर से ढका हुआ था । लीना ने वह चादर हटाई तो देखा कि राज निर्वस्त्र था । उसने उसे तुरंत चादर से ढक दिया । उसने राज की नाक के आगे अपना हाथ किया और चैक किया कि क्या उसकी सांसें अभी भी चल रही हैं ? वहां से निराश होने पर उसने राज की नब्ज टटोली लेकिन राज के शरीर में जीवन के कहीं कोई निशान नजर नहीं आये ।  लीना राज के सीने पर सिर रखकर रोने लगी ।  "अचानक यह सब क्या हो गया ? एक पल में ही उसकी दुनिया तबाह हो गई थी । वह जो कुछ देख रही थी वह सब उसके लिए अकल्पनीय था । उसकी बसी बसाई दुनिया आज वीरान हो गई थी । एक पल इंसान की जिन्दगी कैसे बदल देता है, राज की लाश यह सब स्वयं बयां कर रही थी ।लीना का संसार उजड़ चुका था ।

वह राज से लिपटकर जी भरकर रोई । उसे ढांढस बंधाने वाला भी वहां पर कोई नहीं था । ऐसे विकट समय पर ही तो एक मजबूत कंधा चाहिए होता है जिस पर सिर टिका कर रो तो ले कोई । लेकिन ऐसा कंधा आजकल कहां नसीब होता है ? सब लोग मतलब के साथी हैं । लीना तो खुद एक वकील है और वह जानती है कि इस पेशे में झूठ के सिवाय और कुछ है ही नहीं । दलीलें झूठी , गवाह झूठे और फैसला भी झूठा । इस झूठ की दुनिया में इसीलिए उसका अपना कोई नहीं था । एक राज ही उसका अपना था , वह भी उसे बीच मंझधार में छोड़कर आज चला गया था । एक कंधा भी नहीं है उसके पास जिस पर अपना सिर टिकाकर वह जी भरकर रो सके । अपनी बेबसी पर उसे और भी अधिक रोना आया । वह इतना रोई कि उसके अंदर आंसुओं की एक बूंद तक नहीं बची थी ।

कहते हैं कि रोने से इंसान हलका हो जाता है । लीना भी रोने के कारण हलकी हो गई थी । अब उसमें सोचने समझने की शक्ति आ गई  थी । मामला संदिग्ध था इसलिए पुलिस को सूचित करना जरूरी हो गया था । उसने अपना मोबाइल उठाया और तुरंत 100 नंबर पर डायल करके इस घटना की जानकारी पुलिस को दे दी । उसके पश्चात उसने वीरेन्द्र से इस घटना के बारे में पूछताछ शुरू कर दी ।  "कैसे हुआ ये सब" ?  "मुझे पता नहीं है मैमसाब । मुझे तो बस इतना पता है कि साहब एक लड़की को लेकर शाम के सात आठ बजे यहां पर आये थे और "  वीरेन्द्र अपनी बात पूरी करता , उससे पहले ही लीना बोल पड़ी "कौन थी वह लड़की" ?  "रिषिता"  "कौन रिषिता" ?  "मैं इससे ज्यादा नहीं जानता मैमसाब ! साहब रिषिता रिषिता कहकर ही बुलाते थे उसे" ।  "क्या वह पहले भी यहां आई थी" ?  "हां मैमसाब । वह यहां पहले भी कई बार आ चुकी है । करीब एक साल से वह यहां आ रही है । साहब और वह लड़की करीब शाम को सात आठ बजे यहां पर आते थे और रात भर मौज मस्ती करके सुबह चले जाते थे" ।  "तूने मुझे इस बारे में पहले क्यों नहीं बताया" ? वीरेन्द्र के गाल पर एक थप्पड़ मारते हुए लीना दहाड़ी ।  "साहब ने मना किया था मैमसाब । फिर वे मुझे हर रात का 10000 रुपया भी देते थे । मैं एक गरीब आदमी हूं मैमसाब । मेरे लिए 10000 रुपया बहुत मायने रखता है । मैं तो एक छोटा सा आदमी हूं , साहब की चुगली आपसे कैसे करता ? और यदि मैं कर भी देता तो क्या आप मेरी बात मान लेतीं ? बस,  इसीलिए मैंने आपको नहीं बताया" । वीरेन्द्र अभी भी रोए जा रहा था । वह अभी कुछ और बताता इससे पहले ही पुलिस आ गई थी ।

पुलिस ने पूरे फॉर्म हाउस की तलाशी ली । तलाशी के दौरान लीना भी साथ रही थी । दूसरे कमरे की आलमारी खुली हुई थी और उसका लॉकर भी खुला पड़ा था । लॉकर खाली था । उसे देखकर लग रहा था कि किसी ने उसे पूरा साफ कर दिया था ।  "क्या लॉकर में कुछ पैसे थे" ? इंस्पेक्टर आकाश ने लीना से पूछा  "हां , मैंने दस पंद्रह दिन पहले देखा था तब करीब 20-25 लाख नकद थे और करीब इतने के ही जेवर थे इसमें । उसके बाद राज ने इसमें कुछ और रखा हो तो मुझे पता नहीं है" । लीना याद करते हुए बोली ।  "ओह ! तो इसका मतलब यह हुआ कि वह लड़की ये सारे जेवर और पैसे लेकर भाग गई । क्या तुमने उसे भागते हुए देखा था" ? आकाश ने वीरेन्द्र से पूछा ।  "नहीं साहब । हमने कुछ नहीं देखा । हम तो साहब और उस लड़की के लिए खाना बना रहे थे । वे दोनों पहले तो स्वमिंग पूल में मौज मस्ती कर रहे थे फिर यहां कमरे में आकर गपशप करने बैठ गए और दारू पीने लगे । अचानक साहब ने हमें आवाज दी । हम किचिन से निकल के साहब के पास पहुंचे तो साहब ने कहा कि शराब खत्म हो गई है , शहर  जाकर शराब ले आओ । हमने कहा भी कि साहब बाहर बहुत तेज बरसात हो रही है , हम शहर कैसे जाऐंगे  ? तब साहब ने कहा कि मेरी गाड़ी ले जाओ । साहब, हम साहब के नौकर ठहरे , साहब की बात कैसे टालते ? आखिर हमें भी तो नौकरी करनी थी । इतने पैसे और कौन देता हमें जितने साहब दे रहे थे ? इसलिए हमें साहब की बात मानकर शहर जाना ही पड़ा ।

जब हम शराब लेकर वापस लौटे तो फॉर्म हाउस में सन्नाटा पसरा हुआ था । हम धड़कते दिल से अंदर घुसे । हमें लग रहा था कि कोई अनहोनी जरूर हुई है । साहब बिस्तर में लेटे हुए थे और रिषिता मैमसाब का कहीं कोई अता पता नहीं था । हमने रिषिता मैम को बहुत ढूंढा मगर वह कहीं नहीं मिली । हमने साहब को देखा । वे न हिल रहे थे और न उनके बदन में कोई हरकत हो रही थी । साहब की हालत देखकर हम बहुत घबरा गये थे । उनकी आंखें खुली हुई थीं । मुंह भी खुला हुआ था । हमने उन्हें बहुत आवाजें लगाईं मगर वे कुछ नहीं बोले तो हम डर के मारे चीखने चिल्लाने लगे । तब हमने मैमसाब को फोन कर दिया" । वीरेंद्र नीचे जमीन पर बैठकर फूट फूटकर रोने लगा ।

इंस्पेक्टर आकाश ने एफ एस एल टीम को बुलवा लिया था । एक वीडियोग्राफर भी आ गया था । फॉर्म हाउस का बाथरूम खुला पड़ा था । फर्श पर बाथरूम से बैडरूम तक किसी के घिसटने के निशान थे । ऐसा लग रहा था कि राज बाथरूम में स्लिप हो गया था जिससे उसके पैर में फ्रेक्चर हो गया था इसलिए उसे घसीट कर यहां लाया गया था । शायद रिषिता ही लाई होगी उसे यहां । और तो कौन लेकर आएगा ?  आकाश ने पूरे कमरे की तलाशी ली तो उसमें रखे एक डस्टबिन से एक यूज्ड कंडोम और उसका रैपर मिला । यूज्ड कंडोम और बाथरूम से घिसटने के निशान रात की सारी कहानी कह रहे थे ।  "कौन थी वह लड़की" ? आकाश ने पूछा  "रिषिता । साहब इसी नाम से बुलाते थे उसे"  "उसकी कोई फोटो है" ?  "नहीं । पर शायद साहब के मोबाइल में हो । साहब ने स्विमिंग पूल पर बहुत सी फोटो और सेल्फी लीं थी" । डरते डरते वीरेन्द्र ने कहा ।  "कहां है वह मोबाइल" ?  सबने राज का मोबाइल बहुत तलाश किया लेकिन उसका मोबाइल कहीं नहीं मिला । इससे आकाश बहुत अपसेट हो गया ।  "ओह शिट ! वह कमीनी उसका मोबाइल भी ले गई" । गुस्से से उबल पड़ा राज । फिर उसने लीना से कहा "मैडम , आप एक बार राज के मोबाइल पर कॉल करके देखिये, क्या पता फोन स्विच्ड ऑफ नहीं किया हो उसने अभी ? हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है" । आकाश लंबी सांस भरते हुए बोला ।

लीना ने राज को कॉल लगाया मगर फोन स्विच्ड ऑफ आ रहा था । आजकल मोबाइल ही तो वह सबूत होता है जो सारे राज खोल देता है । पर यहां तो वह मोबाइल ही लापता है । अब इस केस की जांच बहुत कठिन हो जाएगी । उस लड़की का चेहरा भी सिर्फ वीरेन्द्र ने ही देखा है । वह लड़की कौन थी, क्या करती है , कोई नहीं जानता है । यह जानने के लिए वीरेन्द्र के मार्फत उसका स्कैच बनवाना जरूरी हो गया था । उस लड़की का पता चले बिना कुछ भी नहीं हो सकता था ।

सारी कार्यवाही करने के पश्चात आकाश ने फॉर्म हाउस को सील कर दिया और वह लीना तथा वीरेन्द्र को साथ लेकर पुलिस थाने आ गया । उसने लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेज दिया और खुद रिषिता का स्कैच बनवाने लग गया ।

पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ गई । राज की मौत दम घुटने से हुई थी । चूंकि उसके गले पर कोई निशान नहीं था इसलिए उसकी मौत संभवतः तकिये से मुंह दबाने से हुई थी । उसके पैर में एक फ्रेक्चर भी आया था जो संभवत: उसके बाथरूम में गिरने की वजह से हुआ था । मौत लगभग रात के तीन बजे हुई थी । अब पिक्चर बिल्कुल साफ हो चुकी थी । अब तो रिषिता को पकड़ना ही शेष रह गया था इस केस में बस !  अगले दिन उसका स्कैच तैयार हो गया था और उसे सभी थानों को भेज दिया गया था । अब राज का मोबाइल मिलना बहुत जरूरी हो गया था क्योंकि इस हत्या से संबंधित बहुत सारे "राज" उस मोबाइल में कैद होने की संभावना थी ।  "रिषिता के गिरफ्तार होते ही राज का मोबाइल भी बरामद हो जाएगा और फिर यह केस भी सुलझ जायेगा । अब इस केस में कुछ ज्यादा पेच बचा नहीं है" । आकाश ने सोचकर चैन की सांस ली ।

क्रमश :  शेष अगले भाग में  श्री हरि  30.9.23

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5 Comments

KALPANA SINHA

17-Oct-2023 12:36 PM

v nice

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Punam verma

03-Oct-2023 08:06 AM

Nice

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RISHITA

01-Oct-2023 12:09 PM

Nice

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